आप सभी का इस ब्लॉग पर स्वागत है। इस ब्लॉग का उद्देश्य आप में क्रोध उत्पन्न करना नहीं है, बल्कि सभी प्रकार के क्रोधों का कारण जानना और उसे एक सही दिशा देना ही मुख्य उद्देश्य है। आप मेरे लिखे रचनाओं के शब्दों के माध्यम से इस ब्लॉग की सार्थक परिभाषा जान सकते हैं।
Monday 28 November 2016
Thursday 24 November 2016
प्रकृति का इंसान | PRAKASH SAH
🌳👫 प्रकृति का इंसान 👫🌳
संस्कृतियाँ, परंपराएँ, आदर-सम्मान
इन सब में समा जाते हैं इंसान।
परिस्थितियाँ, परेशानियाँ, दुख-दर्द
इन भावनाओं को कभी ज़ाहिर नहीं करते हैं मर्द।
क्या चाहते हैं इंसान, क्या चाहते हैं ये मर्द?
कब मिलेगा जीने को बस दो घूँट का पल?
इन्हीं सवालों में, पारिवारिक जीवन में
फँस जाते हैं हम इंसान ।
ब्रह्मचर्य जीवन जीने का ईमान
जल्दी कोई ना चाहता है इंसान ।
क्या होगा इस संसार का?
ना जाने कब समझेगा समाज?
दूसरों को मदद करके ही, इंसान बनते हैं महान
इंसान बनते हैं महान, इंसान बनते हैं महान...
Thursday 10 November 2016
क्या हुआ ? (What Happened ?) - by P.S.
?ʢ क्या हुआ ?ʢ
तू फूल है तो क्या हुआ,
मैं भी कोई नाचीज़ ना हुँ
काँटा बन कर चूभ जाउँगा,
तुम आहे भरते रह जाना
तू धूप है तो क्या हुआ,
मैं भी कोई नाचीज ना हूँ
धूल बन कर उड़ जाउँगा,
तुम धूँधली-धूँधली रौशनी फैलाते रह जाना
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