शून्य की आकृति में
अनगिनत बिंदु का परिश्रम है।
कंकर-कंकर पथ पर
पाँव के छाले इसके मूल्य है।
शून्य ही समय है,
अनगिनत की गिनती में
शून्य ही, इसका मान है,
प्रमाण है।
शून्य को आकार दो,
कर्म के पराक्रम से,
अणु से ब्रह्माण्ड तक,
बिंदु से लकीर तक,
इंसान से फ़कीर तक
बनने के सफर में।
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