मेरा मानना है कि प्रत्येक आँखों में एक अलग युग होता है यानी कि सभी का देखने का नजरिया अलग होता है। किसी के लिए जो दर्द है वही किसी के लिए सुकून का वज़ह। बस सिर्फ इनके गुणों में अंतर होता है। यही अंतर हमसब को वर्तमान में अलग-अलग युगों का चश्मा लगाने का मौका देता है।
चली पढ़ीं अब #आपन भाषा #भोजपुरी में एगो हमार नया रचना......
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ई ज़माना बा बड़ा ख़राब...
-प्रकाश साह
ई ज़माना बा बड़ा ख़राब
एमे बड़ा बा दबाव
तू जेतना बोलबअ
ओतना ही बोलेम,
ज्यादा बोले में बा
काम ख़राब तमाम
ई ज़माना बा बड़ा ख़राब...2
एमे बड़ा बा दाँवपेंच
चाणक्या भी बानी फेल,
कलयुग के काल में
सभन के बा
ईमान ख़राब तमाम
ई ज़माना बा बड़ा ख़राब...2
बुजुर्ग कहके गईनी
झूकला में ना बा
कौनो शरम, लेकिन
अब तू जेतना झूकबअ
ओतना तोड़ल जईबअ
ई ज़माना बा बड़ा ख़राब...
ई ज़माना बा बड़ा ख़राब...
ई ज़माना बा बड़ा ख़राब...
©prakashsah
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