Email Subscription

Enter your E-mail to get
👇👇👇Notication of New Post👇👇👇

Delivered by FeedBurner

Followers

Wednesday, 12 May 2021

का भरोसा बा तोहार | भोजपुरी कविता | कोरोना, शहर और मेरी मोहब्बत | - PRAKASH SAH

यह भोजपुरी कविता इस कोरोना महामारी में एक बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम, चिंता, ख्याल, एवं पुत्र जैसा व्यवहार का एक संवाद है। जो अपने छोटे भाई को बड़े ही दुलार से कुछ बाते समझा रहा है।

मान लीजिए आपके घर में एक छोटा भाई है जो बहुत चंचल है जिसे बहुत लाड-प्यार में पाला गया है। वह शरीर से बड़ा तो हो चुका है पर अब भी आप उसे एक छोटे बच्चे जैसा ही देखभाल करते हैं और वह भी उस दुलार के वज़ह से उस दायरे से कभी नहीं निकला है। 

सच है कोई भी उस दायरे से नहीं निकलेगा जिसे इतना मान-दुलार दिया जाये।

फिर अगर यही छोटा भाई अपने बड़े भाई के छत्रछाया से दूर होकर आगे की पढ़ाई करने हेतु दूसरे शहर अकेले पढ़ने-रहने के लिए जाता है जो पूरी पढ़ाई होने तक वहीं रहेगा। 

वहाँ रहते हुए अभी कुछ ही महीनें गुजरे थें कि तब ही हमारे देश में कोरोना महामारी की वज़ह से आपातकालीन परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है और वह छोटा भाई उसी शहर में अकेला फँस जाता है।

वह सदैव ही सुख सुविधाओं में ही पला-बढ़ा है...और उसका बहुत ख्याल रखने के लिए हमेशा उसका बड़ा भाई रहा है जो हर मुश्किल वक्त में उसको अपने छत्रछाया में रखा है...पर अब इस कोरोना महामारी के भयावह परिस्थिति में वह अपने छोटे भाई के साथ नहीं है। वह जानता है कि उसका छोटा भाई समझदार तो है पर चंचल भी हैनादान भी है और ऐसी आपातकालीन परिस्थिति का उसके पास कुछ भी अनुभव नहीं है।

इस परिस्थिति से उस बड़े भाई को कितनी बेचैनी और चिंता हो रही है (उस दुलारे छोटे भाई के लिए)...इन्हीं बातों को मैंने अपनी भोजपुरी बोली के शब्दों के माध्यम से यहाँ नीचे बताना चाहा है... 


UNPREDICTABLE ANGRY BOY - www.prkshsah2011.blogspot.in

[1]

का भरोसा बा तोहार

तू   रख  बऽ   आपन   खयाल

अबहीं   के   समय  बा  बेकार

तू  रखीऽ  दू  हाथ  के  जहान

बाहर  घूमऽ  ता   एगो  बीमार

सरकार  के   देहल  बा  बयान

जान  तानी  तू   बाड़ऽ  सयान

तऽ  तू  मान जइ-बऽ  ई गुहार

लेकिन  का  भरोसा  बा तोहार

तू   रख   बऽ   आपन  खयाल

 

[2]

का भरोसा बा तोहार

तू    रख  बऽ  आपन   खयाल

घूमे  के   मत   रखीऽ   बहार

दूसरा   लहर  में   बा   बवाल

खूब   होता    अबहीं    बुखार

देह  ताप   के   र खीऽ  ध्यान

वैक्सीन   के    बा    हाहाकार

अब  18+  में   भईल  बहाल

लेकिन का  भरोसा  बा  तोहार

तू   रख  बऽ   आपन   खयाल

 

[3] 

का भरोसा बा तोहार

तू   रख  बऽ   आपन    खयाल

हिम्मत  से   जीत  होई  साकार

अबहीं  तलवार के  बनऽ मयान

बीतल  दिन  फेर  आयी  तोहार

बेफालतू कौनो मत दिहऽ बयान

ई डॉक्टर  करिहन  सब साकार

हाँ ई गुजरी समयकरऽ इंतज़ार

लेकिन  का  भरोसा  बा  तोहार

तू   रख   बऽ   आपन   खयाल


[4]

का भरोसा बा तोहार

तू   रख   बऽ   आपन   खयाल

सीख  लऽ  अब  करे  के नकार

बिना काम के  मत जईह दुकान

देखऽ  माँ-बाबुजी  के बा  दुलार

सपना  तोहार  ना  होई  नाकाम

इहाँ  घर-बार,  सब  बा गुलज़ार

तू बुलई बऽ त आ जाएम बिहान

लेकिन  का   भरोसा  बा  तोहार

तू    रख   बऽ   आपन   खयाल

-प्रकाश साह

260421


 मेरी कुछ अन्य रचनाएँ....


आपकाे यह रचना कैसी लगी नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बतायें। और अगर मेरे लिए आपके पास कुछ सुझाव है तो आप उसे मेरे साथ जरूर साझा करें।     

🙏🙏 धन्यवाद!! 🙏🙏

BG P.C. : YourQuote
P. Editing : www.prkshsah2011.blogspot.in

23 comments:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏

      Delete
  2. वाह! ठेठ देसी जुबान में मतलब के सनेस।🙏🙏🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी रऊआ हमार प्रणाम स्वीकार करीं।
      मुझे अपनी भोजपुरी रचनाओं पर सदैव ही आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहता है। इससे मैं बहुत प्रोत्साहित होता हूं कि मैं और भी भोजपुरी रचनाएं लिखूँ।
      ई खातिर राऊर बहुत-बहुत धन्यवाद-आभार।🙏🙏🙏🙏🙏

      Delete
  3. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 14-05-2021) को
    "आ चल के तुझे, मैं ले के चलूँ:"(चर्चा अंक-4060)
    पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित है.धन्यवाद

    "मीना भारद्वाज"

    ReplyDelete
    Replies
    1. पुनश्च: कृपया चर्चा अंक-4065 पढ़े ।

      Delete
    2. जी अवश्य। आपके इस स्नेह और सम्मान के लिए बहुत बहुत धन्यवाद-आभार 🙏

      Delete
  4. देशी अंदाज में बहुत सुंदर रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हाँ मेरी माँ की भाषा की सुगंध है। आपके इस स्नेह के लिए बहुत धन्यवाद ज्योती दी।

      Delete
  5. Replies
    1. जी बहुत धन्यवाद आपका 🙏🙏

      Delete
  6. बहुत बढियां, स्वभाषा की खूशबू

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद-आभार।

      Delete
  7. वाह बहुत शानदार ।
    ऐसे तो शायद नहीं समझ पाती पर आपने साथ सब हिंदी में लिख दिया।
    वात्सल्य से ओतप्रोत रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आप इस भाषा को न जानते हुए भी इसके प्रति इतना स्नेह दिखायीं इसके लिए सहृदय आभार एवं धन्यवाद आपका। 🙏🙏

      Delete
  8. सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत धन्यवाद आपका 🙏

      Delete
  9. भाई के लिये वात्सल्य भरे उद्गार ..हर शब्द का मतलब न समझ पाने के बाबजूद कविता का समग्र भाव स्पष्ट है और सबसे मुख्य बात यही है .

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी भाव को समझना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि शब्द तो बस भावों को पहुंचाने का एक जरिया है।
      आपने मेरे इस भोजपुरी कविता के लिए इतना स्नेह और अपनापन दिखाया इसके लिए आपको प्रणाम एवं सहृदय धन्यवाद-आभार।

      Delete
  10. बहुत बढ़िया !!भ्रातृप्रेम का सुंदर संदेश देती भावपूर्ण रचना,आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. संदेश आप तक पहुंचना जाना ही रचना की सार्थकता निश्चित हो रही है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार।

      Delete
  11. Replies
    1. वाह! भईया। आज रऊआ आ ही गईनी हमार ब्लॉग पर। बड़ा मन खुश भईल। धन्यवाद भईया जी।

      Delete