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Monday, 19 August 2024

बहन | PRAKASH SAH

 

PC : Google


जिस दिन तुम्हारी शादी होगी वो क्षण मेरे लिए बड़ा असहनीय होगा,

तुमसे    ज़्यादा    मेरी    आँखों    में   आँसू    बह    रहा   होगा।


उस दिन चाँद-तारों  की  टोली  में  कुछ जुगनुओं को भी बुलाऊँगा,

जिससे तुम अपने ख़्वाबों को खूब सुन्दर सजा लेना, ओ! मेरी बहना।


जब तुम थक जाओ अपनी शादी के मनचाहे शोरगुल की खुशी में,

तब तुम उन यादों को अपनी पलकों से ओढ़ लेना, ओ! मेरी बहना


तुम्हें सुकून की नींद मिले, उन ख्वाबों के बागों में,

तुम उनमें  पंछी - सा सैर करना, ओ! मेरी बहना।


सुबह ज़ल्दी  आँखें  मिचते उठ जाना,  जब पंछी  विचरने लगे आंगन में,

एक पंछी आयेगी बुलाने झरोखे पे, तुम साथ चले जाना, ओ! मेरी बहना।


भोर की ओस  की  बूंदों की भाँती,  खूब रहना चंचलता में,

तुम कंचन मन हेतु तनिक भजन कर लेना, ओ! मेरी बहना।


..............ओ! मेरी बहना........ओ! मेरी बहना..............

जब तुम थक जाओ अपनी शादी के मनचाहे शोरगुल की खुशी में।

-प्रकाश साह
042021




🙏🙏 धन्यवाद!! 🙏🙏

12 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 25 अगस्त 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. आभार एवं धन्यवाद।

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  2. भावुक कर देने वाली रचना है प्रिय प्रकाश! भाई और बहन का नाता अखण्ड होता है! पर नकली वैभव से भरे इस संसार में ये पवित्र रिश्ता अपना मूल स्वरूप खोता जा रहा है फिर भी यदि भाई बहन के लिए इतनी सुंदर भावनाएं प्रेषित करे तो उससे ज्यादा सौभाग्य शाली बहन कौन होगी! बहुत ही प्यारा गीत लिखा है आपने!

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    Replies
    1. मुझे ऐसा लगता है बहन का होना ही सौभाग्यशाली है। आपके इस प्रेम के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद एवं सादर प्रणाम आपको रेणु दी!

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  3. सुंदर सृजन

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  4. बहुत सुंदर और भावपूर्ण !

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  5. आंखों के कोरों से मोती टपक पड़े। पुराने दिन याद आ गए।
    भाई बहन की अटूट बंधन और प्रेम को सुंदर शब्दो से सजाकर प्रस्तुत की गई भावपूर्ण रचना।

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